मिला जो आसानी से,
न की उसकी कदर
करोगे भी कैसे,
जब है नहीं खोने का डर।
न था डर खोने का जिसका,
बेझिझक हाथ बंटा दिया,
ना कि थी कदर जिसकी,
बिन बताए मिसाल दे गया।
उसने कसम दि थी कि,
न छोड़कर जाएगा कभी,
पर जब खुद से दूर धकेला उसे,
तो कैसे कोई रुकेगा अभी?
इतना दूर ना धकेलो,
की आदत बन जाए,
इतना ना नीचा दिखाओ,
की फितरत बन जाए,
यह न भूलें कि दुनिया गोल है,
कुदरत के कायदे, सब लिए समान है,
यह दर्दनाक खामोशी की चीख,
क्या खबर कल तुम्हारी ही शिकायत बन जाए। \
Beautiful..
ReplyDeleteThankyou. Keep reading.
DeleteNice...!
ReplyDeleteThankyou!
DeleteThankyou!
ReplyDeleteAmazing
ReplyDeleteThankyou!
DeleteWow..!
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